मंगलवार, 28 फ़रवरी 2017

भोजपुरी गानों में हिट है नोटबंदी का फ़ैसला : मनीष शांडिल्य

''बंद हो गइल नोट पांच सौ हज़ार के, काला धन रखे वाला के दरद भईल कपार (सर) में.''
केंद्र सरकार के 500-1000 के नोट बंद करने के ऐलान के बाद ऐसे दर्जन भर से अधिक भोजपुरी गीत धूम मचा रहे हैं.
दिलचस्प यह कि इस फ़ैसले के 24 घंटे के अंदर इनमें से कुछ गाने तैयार कर यू-ट्यूब पर अपलोड भी कर दिए गए थे. इनमें से कुछ गानों को तो यू-ट्यूब पर लाखों में व्यूज़ मिले हैं.
एलबम 'बंद भईल नोट पांच सौ हज़ार के' की गायिका पटना की ख़ुशबू उत्तम हैं.
वह बताती हैं, ''इस फ़ैसले की खबर मुझे नहीं थी. आठ नवंबर की रात कैसेट कंपनी वालों का ही फोन आया कि एकदम धमाकेदार मैटर है, इस पर एक गाना बना डालो.''
बंद हो गइल नोट पांच सौ हज़ार की गायिका खुशबू उत्तमइमेज कॉपीरइटKHUSHBU UTTAM
ख़ुशबू कहती हैं, ''पहले तो थोड़ी सोच में पड़ीं लेकिन फिर टीम ने अगले दिन बारह बजे तक गाना तैयार कर लिया. इसके एक घंटे बाद ही यह गाना यू-ट्यूब पर अपलोड भी हो गया.''
ख़ुशबू के मुताबिक इसे एक दिन के अंदर ही दस लाख से अधिक व्यूज मिल चुके थे. अब इस गाने के व्यूज बारह लाख को पार कर चुके हैं.
दरअसल इन गीतों के बहाने देश-समाज में हो रही घटनाएं और हलचल, एक बार फिर से भोजपुरी गीतों में ढल कर सामने आई हैं.
कुछ दिनों पहले भारत की सर्जिकल स्ट्राइक के दावे के बाद भोजपुरी एलबम्स में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ ख़ूब प्रचार हुआ था. इसके पहले भी बाढ़, शराबबंदी, स्वाइन फ्लू, प्याज की आसमान छूती कीमतें, बिहार-झारखंड बंटवारा जैसी तमाम छोटी-बड़ी घटनाएं भोजपुरी गीतों का विषय बनती रही हैं.
नोटबंदी पर बने गानों में आम तौर पर सरकार के फ़ैसले का समर्थन किया गया है. कई गानों में कालाधन रखने वालों और विपक्षी दलों के नेताओं पर निशाना साधा गया है.
गाना 'बंद भइल पनसौऊआ हजरिया' के बोल हैं, ''सुनि ए शिवपाल चाचा केहु न बांची, मोदी जी सबके जांचीं.... राहुल गांधी पीट तारे छाती.''
गु्ंजन कुमारइमेज कॉपीरइटGUNJAN KUMAR
Image captionगु्ंजन कुमार
इस गाने को सत्येंद्र कुमार और पांडेय नवीन की जोड़ी ने लिखा है. दिल्ली में एक निजी कंपनी में इंजीनियर सत्येंद्र बिहार के सीवान जिले के सिसवन से हैं.
उन्होंने सुपरफास्ट अंदाज में गाने लिखने की तैयारी के बारे में बताया, ''मोदी जी की घोषणा से हमें मैटर मिला. इसके एक घंटे बाद हम और नवीन जी बैठे. तीन घंटे के अंदर हमने चार गाने तैयार कर लिए.''
सत्येंद्र के मुताबिक़ आठ नवंबर की रात नोटबंदी होने के फ़ायदे और नुकसान के बारे में जो कुछ न्यूज़ चैनल्स पर बताया गया, उससे उन्हें गाने लिखने में मदद मिली.
ख़ुशबू उत्तम के गाए गाने की तरह ही इन गानों को भी नौ नवंबर को ही यू-ट्यूब पर जारी कर दिया गया था. सत्येंद्र के लिखे गीतों को उनकी बेटी किरण कुमार ने गाया है जिन्हें अब तक लाखों व्यूज़ मिल चुके हैं.
गुंजन कुमार एल्बमइमेज कॉपीरइटGUNJAN KUMAR
बिहार के नवादा के ज़िले के गायक गुंजन सिंह का गाना 'पनसऊआ हजारा के बनईह तोसक तकिया' भी इन दिनों काफी सुना जा रहा है. गुंजन ने पहले इस गाने का ऑडियो और फिर वीडियो जारी किया.
इसके पहले गुंजन केदारनाथ हादसा, शराबबंदी, बाढ़ जैसे घटनाओं पर भी गाने गा चुके हैं.
नोटबंदी के फ़ैसले के बाद आम लोगों को हो रही परेशानियों को भी क्या वे गीतों को ढालने में सोच रहे हैं?
गुंजन ने बताया कि उन्होंने इन परेशानियों पर भी राइटर को गाना लिखने को कहा है.
भोजपुरी एल्बम का पोस्टरइमेज कॉपीरइटSATYENDRA KUMAR
पत्रकार निराला बीते कुछ सालों से लोक-राग अभियान के जरिए भोजपुरी लोक गीतों को सहेज रहे हैं.
वे बताते हैं, ''जो चीजें बहुत पॉपुलर या महत्त्व की हो जाती हैं, उनमें गीत बनने की परंपरा भोजपुरी में शुरू से रही है. हर साल करंट अफेयर्स पर भोजपुरी में गाने आते रहते हैं. 1857 के गदर के दौरान भी भोजपुरी गीत बने थे और आज़ादी की लड़ाई के दौरान भी.''
निराला 1920 के दशक में भोजपुरी के बड़े गीतकार महेंद्र मिसिर के लिखे इस मशहूर गीत का उदाहरण देते हैं, ''हमका नीको नहीं लागेला गोरन के करनी, रुपया सब ले गैले दे देले दुअन्नी."

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